Wednesday, 29 December 2021

                                              Truth/ Lies                                                         

                                                          सच / झूठ




सोचता हूं की बात छिपा लूं


पर झूठ मुझसे बोला जाता नहीं


फितरत ऐसी हो गई ऐसी अब मेरी


चेहरे पर नक़ाब लगाया जाता नहीं


सच थोड़ा कड़वा जरूर है


पर झूठ की तरह क्षणभंगुर नहीं


कल सबके सामने सच आयेगा


इसलिए झूठ का नक़ाब मुझे मंजूर नहीं


कुछ लोग झूठ बोलते हैं इस तरह


उन पर यकीन ना करने की रहती कोई गुंजाइश नहीं


लोग कहते हैं झूठ से भरोसे टूट जाते हैं


मैंने सच पे भी रिश्तों का स्थिर रहना देखा नहीं


अब सोचता हूं की झूठ का हुनर ​​भी तलाश लूं


जब सच पे भी हमारे अजीज हमारे साथ रहे नहीं


इस जमाने मैं झूठों को कहीं का कहीं देखा है?


मैने सच बोला, तो रे गया वही का वहीँ

2 comments:

Veenu Murjhani said...

Superb composition. You have equal command on both Hindi and English.

ajaywrites said...

Thanks...............My first attempt

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